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क्या है उपासना स्थल अधिनियम? Places Of Worship Act 1991 In हिंदी

साल 1992 में जब बाबरी विध्वंस हुआ तब भारत के प्रधानमंत्री थे नरसिम्हा राव| बाबरी विध्वंस एक रात की बात नहीं थी| इसके लिए काफी पहले से प्लानिंग चल रही थी| इसी बात का अंदेशा भारत सरकार को भी था|

इसको को ध्यान में रख कर तत्कालीन सरकार 1991 में एक कानून लेकर आई थी| इसका नाम था उपासना स्थल अधिनियम या places of worship act.

अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर इस places of worship act में है क्या? तो अब इसके बारे में विस्तार से बात करेंगे|

क्या है उपासना स्थल अधिनियम? places of worship act 1991 in हिंदी

Places of worship act ने उपासना स्थलों को लेकर सभी संभावित धार्मिक विवादों को समाप्त कर दिया| अधिनयम की धारा 3 के तहत स्वतंत्रता समय मौजूद धार्मिक स्थलों में परिवर्तन पर रोक लगाता है|

जो धार्मिक स्थल 15 अगस्त 1947 को जिस रूप में था उसे उसी रूप में संरक्षित किया जायेगा|

चर्चा में क्यों?

अभी हाल ही में वाराणसी स्थित एक सिविल कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को एक आदेश दिया है| जिसमे वाराणसी स्थित ज्ञानव्यापी मस्जिद का सर्वे करने की बात कही गई है| इस सर्वे में यह पता लगाया जायेगा कि क्या ज्ञानव्यापी मस्जिद के नीचे कोई मंदिर था या नहीं|

उपासना स्थल अधिनियम से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

एक धार्मिक स्थल किसे कहते हैं?

एक मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरजाघर, मठ, अथवा अन्य कोई भी जन धार्मिक स्थल जो किसी भी धर्म या संप्रदाय का है, या जो किसी भी नाम से जाना जाता हो।

धार्मिक स्थल को किस धारा में परिभाषित किया गया है?

अधिनियम की धारा 2 (ग) में धार्मिक स्थल को परिभाषित किया गया है।

धार्मिक स्थल के परिवर्तन का क्या अर्थ है?

यदि किसी धार्मिक स्थल का परिवर्तन किसी अन्य धर्म या उसी धर्म के अन्य पंथ के स्थल के रूप में हो, तब यह अधिनियम लागू होगा।

उपासना स्थल अधिनियम के उल्लंघन का क्या दंड है?

अधिनियम की धारा 6 में अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर जुर्माने के साथ अधिकतम तीन वर्ष की कैद का प्रावधान है।

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